राजीव ठक्कर, सीआईओ, पीपीएफएएस म्यूचुअल फंड ने संकेत धनोरकर से बातचीत में कहा कि उन हालात में बेहतर फैसले लेने का नाम ही इनवेस्टमेंट होता ...
राजीव ठक्कर ने संकेत धनोरकर से बातचीत में कहा कि उन हालात में बेहतर फैसले लेने का नाम ही इनवेस्टमेंट होता है, जिनमें मार्केट न बहुत तेज और न ही बहुत मंदा होता है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
हालिया रिजल्ट सीजन पर आपकी क्या राय है?
बैंक, कमोडिटी से जुड़ी फर्मों और कर्ज में दबी कुछ इंफ्रा कंपनियों को छोड़कर बाकी का रिजल्ट कमोबेश बेहतर रहा है और उनमें अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है। कमोडिटी प्राइस में करेक्शन पूरा हो चुका है और अब उनमें रिकवरी हो रही है। इसलिए इन प्लेयर्स पर बना दबाव आने वाले समय में घट सकता है। हालांकि सरकारी बैंक साल दो साल तक दबाव में रह सकते हैं। बैलेंसशीट की साफ-सफाई रातोंरात नहीं हो सकती। एक्सपोर्ट वाली कंपनियों को कुछ दिक्कतें आती नजर आ रही हैं। हालांकि सबमें तेजी एकसमान नहीं होगी। कुछ कंपनियां जल्द सुस्ती से उबर सकती हैं, कुछ को ज्यादा वक्त लग सकता है। कुलमिलाकर 2016-17 की प्रॉफिट ग्रोथ 2015-16 बेहतर रह सकती है।
मॉनसून से इकनॉमी को बढ़ावा मिल सकता है?
कॉरपोरेट प्रॉफिट पर डायरेक्ट असर के अलावा अच्छे मॉनसून से सरकार को सूखा खत्म करने की कवायद के अलावा दूसरे क्षेत्रों में भी फोकस करने का मौका मिलेगा। मॉनसून की बारिश लगातार दो साल उम्मीद से कम रही है। तीसरी बार भी ऐसा होता है तो बहुत मुश्किल हो जाएगी। अगर ऐसा नहीं होता है, कृषि उत्पादन ठीक रहता है और महंगाई काबू में रहती है तो सरकार ज्यादा कर सकेगी। लोगों का मानना है कि मॉनसून में अच्छी बारिश से रूरल इकनॉमी को बढ़ावा मिलेगा। इसलिए ट्रैक्टर और टू व्हीलर्स सेल के अलावा एफएमसीवी वॉल्यूम में बढ़ावा होगा। मॉनसून और रूरल इकनॉमी में रिश्ते के सामान्यीकरण के उलट मुझे लगता है कि ठीकठाक मात्रा में पानी मिलने पर लोग सूखे की फिक्र करने के बजाय दूसरी गतिविधियों पर फोकस करने लगेंगे।
क्या आपको निवेश का अच्छा मौका नजर आ रहा है?
राजनीतिक स्थिरता वाले माहौल में बिजनेस फ्रेंडली सरकार की तरफ से कई लॉन्ग टर्म उपाय किए जा रहे हैं। इंटरेस्ट रेट में अब भी झुकाव बना है, लेकिन प्रॉफिट पर प्रेशर के चलते वैल्यूएशन हालिया रैली के बाद ज्यादा लग रहा है। फिलहाल कुछ भी सस्ता नहीं है। ऐसे में ज्यादातर मामलों में गुणवत्ता वाले शेयरों का चुनाव करना होगा। मौके तो हैं, लेकिन भुनाने लायक बनने में वक्त लगेगा। अभी न तेजी का मार्केट है, न ही मंदी का है। कंपनियों की प्रॉफिट ग्रोथ बढ़ रही है। ऐसे में हम बेहतर मौकों के इंतजार में हैं।
PPFAS लॉन्ग टर्म वैल्यू फंड हाल में टॉप परफॉर्मर रहा है। फंड को किस चीज से फायदा हुआ है?
हमें मिली व्यापक जिम्मेदारी और फ्लेक्सिबिलिटी हमारे लिए फायदेमंद रही है। हम फॉरेन इक्विटीज में इनवेस्ट कर सकते हैं और लार्ज मिड कैप मिक्स में बदलाव कर सकते हैं। हम मार्केट कैप या सेक्टर से बंधे नहीं हैं, इसलिए ज्यादा तरह की कंपनियों में बनने वाले मौकों का फायदा उठा सकते हैं। इससे हमें फायदा हुआ है। बहुत बार हमने वैल्यूएशन आर्बिट्राज का फायदा उठाया है। मिसाल के लिए अगर देश में FMCG शेयर महंगे हैं तो हम विदेश जाकर इमर्जिंग मार्केट्स में व्यापक आधार वाली कंपनियों में खरीदारी कर सकते हैं। एक से ज्यादा देशों में इनवेस्टमेंट करने से पोर्टफोलियो वोलैटिलिटी घटती है। किसी खास देश से जुड़े रिस्क फंड को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाते। इससे हमें बेहतर रिटर्न देने में मदद मिली।
'कहीं भी जाने की स्ट्रैटैजी' के पीछे क्या सोच है? इससे आपका फोकस नहीं घटेगा?
हमारी कामयाबी इस बात पर निर्भर करती है फील्ड कितना आकर्षक है। अगर हम मछली पकड़ रहे हैं तो हमारी कामयाबी तालाब में मौजूद मछलियों पर निर्भर करेगी। आप जिस एरिया पर फोकस करने की कोशिश कर रहे हैं, वहां मौकों का सूखा है तो किसी और एरिया में जाने में समझदारी है। चुनाव के लिए ज्यादा ऑप्शन होना हमेशा फायदेमंद होता है।
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